रीवा प्रार्थना हॉस्पिटल में हुआ प्रदेश का इस तरह का पहला ऑपरेशन, पित्त की थैली व नली से निकाली 100 से अधिक पथरी

रीवा. पित्त की थैली एवं नली में एक साथ ऑपरेशन कर पथरी निकालने का क्रिटिकल ऑपरेशन रीवा में किया गया है। ऑपरेशन सफल रहा और मरीज की हालत ठीक है। तीन दिन बाद उसको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। डॉक्टरों का मानना है कि इस तरह का प्रदेश में यह पहला सफल ऑपरेशन है।

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रीवा शहर की बाणसागर कॉलोनी निवासी 70 वर्षीय महिला रामप्यारी श्रीवास्तव को असहनीय दर्द था और उसे प्रार्थना हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वरिष्ठ लेजर एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. एलएम सिंह ने महिला की जांच करने पर पाया कि उसके पित्त की थैली में पथरी होने के साथ सूजन और इन्फेक्शन है। साथ ही पित्त की नली में भी आकर कुछ पथरी फंसी है, जिससे तेज दर्द है। इस पर डॉक्टरों की टीम ने मरीज की दोनों जगह एक साथ ऑपरेशन कर पथरी निकलने का निर्णय लिया। 

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समय और पैसा बचायाः दो बार ऑपरेशन किए जाने पर मरीज का समय और पैसा दोनों ज्यादा लगता है और दो बार बेहोशी का भी खतरा बढ़ जाता है। लेकिन चिकित्सकों ने एक साथ ऑपरेशन का अंजाम देकर मरीज को राहत दी है। मरीज के परिजनों ने प्रार्थना हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम का आभार व्यक्त किया है

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ऐसे किया सफल ऑपरेशन

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एक साथ दोनों जगह के पथरी का ऑपरेशन काफी मुश्किल था, लेकिन क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ. विनोद सिंह सेंगरद्वारा बेहोशी दी गई और पहले गैस्ट्रो इंट्रोलॉजिस्ट डॉ. लवकुश तिवारी द्वारा इआरसीपी पद्धति से पित्त की नली की पथरी निकाली गई। इसके बाद डॉ. एलएम सिंह द्वारा लेप्रोस्कोपिक विधि से पित्त की थैली का ऑपरेशन कर पथरी बाहर की गई । पित्त की थैली में सूजन होने पर ऑपरेशन करना बहुत कठिन था लेकिन डॉ. सिंह ने 100 से ज्यादा पथरी निकलकर मरीज की जान बचाई।

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मरीजों की जान का रहता है खतरा

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डॉ. एलएम सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दो जगह की पथरी का एक साथ ऑपरेशन सफलता पूर्वक किया गया है। अमूमन होता यह है कि पहले पित्त की नली की पथरी निकालकर छोड़ दिया जाता है और फिर बाद में पित्त की थैली का ऑपरेशन कर पथरी निकाली जाती है। क्योंकि दोनों ऑपरेशन एक साथ करने में मरीज की जान को खतरा होता है।

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