सिंगरौली. देश की ऊर्जाधानी के रूप में पहचान बना चुका सिंगरौली शहर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली गुजरात व महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों को रोशन करता है, लेकिन विद्युत कंपनियों व एनसीएल की कोल खदानों से होने वाला प्रदूषण यहां के’ रहवासियों के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है। वायु प्रदूषण के मामले में सिंगरौली की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यह देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल है। लोग दमा, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में शासन स्तर से प्रयास तो चल रहा है, लेकिन इसकी धीमी प्रगति परेशानी का सबब बनी हुई है।
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“सिंगरौली परिक्षेत्र में स्थित ताप विद्युत परियोजना एनटीपीसी विंध्याचल, एनटीपीसी सिंगरौली, रिलायंस सासन पॉवर, हिंडालको व अदाणी पॉवर प्लांट की. 20 चिमनियों से सल्फर डाईऑक्साइड व कॉर्बन डाइऑक्साइड हर समय उत्सर्जित होती है। जो वातावरण में घुलकर आबो-हवा को जहरीला बनाती है। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण की प्रमुख वजह कोयला के परिवहन में लगे 10 हजार से अधिक हाइवा व डंपर वाहन भी हैं, जो शहर की प्रमुख सड़कों से दिन-रात कोयला लेकर फर्राटे भरते हैं। ग्रीन पीस नाम की अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा किए गए सर्वे की मानें तो देश में सर्वाधिक सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाला जिला सिंगरौली है। इस जहरीली गैस का उत्सर्जन 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में 8.5 प्रतिशत बढ़ा था। वर्ष 2020 के बाद से इसकी बढ़ोत्तरी लगातार हुई है। हालात को देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने दिसंबर 2015 में चिमनियों से सल्फर का उत्सर्जन रोकने विद्युत परियोजनाओं की सभी इकाईयों को एफजीडी (फ्यूल गैस डी सल्फराइजेशन) युक्त बनाने का निर्देश दिए थे। इस पर करीब सात वर्ष बाद 2022 से अमल शुरू हुआ है।
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दिल्ली-नोएडा से ज्यादा वायु प्रदूषण सिंगरौली जिले में
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विश्व पर्यावरण दिवस से दो पहले यानी शनिवार को पत्रिका ने देश के सबसे प्रदूषित शहरों की पड़ताल की तो सिंगरौली की आबोहवा दिल्ली, नोएडा, जबलपुर व कटनी से भी खराब मिली। सिंगरौली में शनिवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 136 दर्ज किया गया। जबकि, दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 121, नोएडा में 115, कटनी में 119 व जबलपुर में 128 पाया गया। एयर क्वालिटी इंडेक्स के इस स्तर पर सांस लेने में समस्या होती है और फेफड़ों के लिए नुकसानदायक होता है।
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एनटीपीसी विंध्याचल में देश का पहला कॉर्बन कैप्चर प्लांट
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विद्युत परियोजनाओं व कोल कंपनियों का दावा है कि 2024 के अंत तक सिंगरौली वायु प्रदूषण से मुक्त हो जाएगा। सभी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं। सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने विद्युत उत्पादक इकाइयों को जहां एफजीडी युक्त बनाया जा रहा है। वहीं एनटीपीसी विंध्याचल ने देश का पहला कॉर्बन कैप्चर प्लांट स्थापित किया है। अन्य परियोजनाएं भी इस पर काम कर रही हैं। एनसीएल भी सभी खदानों में कोल हैंडलिंग प्लांट तैयार कर रहा है। ताकि, कोयला परिवहन रेललाइन के जरिए किया जा सके। 2024 के अंत तक सड़क मार्ग से कोल परिवहन बंद करने की तैयारी है।