ऐतिहासिक मोढेरा सूर्य मंदिर: कलात्मकता देखने आते हैं यहां सैलानी, इस मंदिर को उत्कृष्ट शिल्प कला के भी लिए जाना जाता है

ऐतिहासिक मोढेरा सूर्य मंदिर: कोणार्क सूर्य मंदिर को भारत में ज्यादातर लोग सूर्य मंदिर के नाम से जानते हैं, लेकिन देश में एक और महत्वपूर्ण सूर्य मंदिर है, जो गुजरात के मोढेरा में स्थित है। इसे मोढेरा सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर अपनी बेहतरीन शिल्प कला के लिए भी जाना जाता है।

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ऐसा माना जाता है कि मोढेरा के सूर्य मंदिर का निर्माण सोलंकी राजा भीमदेव ने करवाया था। यह दक्षिण में चोल मंदिरों और उत्तर में चंदेल मंदिरों की समकालीन वास्तुकला का उदाहरण है। यहां महमूद गजनवी और अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया और खूब लूटपाट की। इस मंदिर के तीन प्रमुख भाग हैं, मुख्य मंदिर, गर्भगृह और गन मंडप, इनके अलावा सभा मंडप, सूर्यकुंड या जिसे बावड़ी कहा जाता है, का भी विशेष महत्व है। सूर्य कुंड या बावड़ी की खास बात है

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कि मंदिर का पूरा प्रतिबिम्ब इसके जल पर पड़ता है। इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की किरणें भगवान सूर्य की मूर्ति और मंदिर में स्थित बावड़ी पर पड़ती हैं, जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं। मंदिर की एक और खास बात यह है कि इसके अंदर पुष्पावती नदी बहती है, जो मंदिर को और आकर्षक बनाती है। यह मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। मंदिर में बने सभा मंडप में एक अष्टकोणीय हॉल है, जिसकी शिल्पकारी सबसे आकर्षक है। मंदिर में खंभों में बहुत ही सुंदर नक्काशी और कारीगरी की गई है। इन सभी स्तंभों के बीच एक वृत्त के रूप में वास्तुकला की गई है, जो इस मंदिर को सबसे खास बनाती है। मंदिर की संरचना उल्टे कमल के फूल के समान है।

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