अपने पिता का हमेशा करे सम्मान: स्वास्थ्य व हर पल रहे तैयार, पिता का दिल से करें आदर, पढ़े पूरी खबर

एक पिता अपना पेट काटकर अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाता है। कॅरियर बनाता है। कई बार तो कर्ज तक में डूब जाता है। परवरिश मैं कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। ताकि बच्चों के चेहरों पर हर पल मुस्कान बनी रहे। इसके लिए कई बार तो पिता खुद की सेहत से भी समझौता कर लेता है। लेकिन जैसे-जैसे पिता बुजुर्ग होता जाता है, वही बुजुर्ग पिता अपने

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ही घर में अपनों से उपेक्षा व दुर्व्यवहार का भी शिकार होने लगता है। बुजुर्ग हमारे घर की नींव होते हैं। जिन लोगों के घरों में बुजुर्ग पिता का साया होता है वे बहुत ही नसीब वाले होते हैं। इस बार 18 जून को फादर्स डे और 15 जून विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस है। इन्हीं दोनों दिवसों के मद्देनजर जानिए बुजुर्ग पिता की बच्चों से क्या अपेक्षाएं रहती हैं और बच्चे किस तरह से अपने पिता के साथ व्यवहार करें। कुछ उपयोगी टिप्स।

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पिता का दिल से करें आदर

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फाइनेंस…

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पिता यदि पेंशनर हैं वे आर्थिक रूप से मजबूत हैं। यदि उन्हें पेंशन नहीं मिलती हैं तो उन्हें आप खुद ही अपनी तरफ से कुछ राशि मंथली देते रहें। इससे वे आर्थिक रूप से मजबूत बने रहेंगे। और वे एक-एक पैसे के लिए आपकी तरफ नहीं देखेंगे। अपनी मर्जी से कुछ भी खर्च करने के लिए स्वतंत्र रहेंगे।

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nएनीटाइम…

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हर पल अपने बुजुर्ग पिता के लिए तैयार रहें। कई बार बुजुर्ग पिता अपनी मन की बात कहने से भी हिचकते हैं। कुछ खाने का मन हो तो भी वे कुछ नहीं कह पाते हैं। इसलिए आप अपने पिताजी से खुलकर बात करें। उन्हें इस बात का अहसास रहे कि आप उनके लिए हर पल तैयार हैं।

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टाइम…

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| आजकल कई घरों में बेटे अपने बुजुर्ग पिता के पास बैठते तक नहीं है। सोशल मीडिया में समय लगा देंगे। लेकिन अपने बुजुर्ग पिता से बात करने के लिए पांच मिनट का भी समय नहीं होता है। पिता साथ रहते हैं तो आप उन्हें कम से कम रोज आधे घंटे का समय जरूर दें। इस दौरान मोबाइल चलाने से बचें। 

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हैल्थ…

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बुजुर्ग स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसे में आप उनकी पूरी देखभाल व नियमित चैकअप पर ध्यान दें। आप सुबह व शाम कभी उनके साथ हल्के-फुल्के व्यायाम भी करें। फिर देखें कि इससे आपके व आपके बुजुर्ग पिता के साथ कैसी अच्छी बॉन्डिंग बनती हैं।

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इमोशन्स… बुजुर्ग पिता के साथ

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भावनात्मक रूप से जुड़ें, नई पीढ़ी अपने बुजुर्गों की भावनाओं को आहत न करे। नई पीढ़ी को संस्कार, सामाजिक मूल्यों व परम्पराओं से दूर होते जाने का यह दुष्परिणाम है कि बुजुर्ग पिता • मान व सम्मान के मोहताज हैं। उनका तिरस्कार नहीं करें बल्कि उनकी कद्र करें।

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nरेस्पेक्ट….

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उन्हें पूरा मान-सम्मान दें। छोटी-छोटी बातों में झल्लाएं नहीं। सोचें, जब आप छोटे थे तो कई बार जिद करते थे। तब आपके पिता कितने चाव से आपकी बात सुनते थे। आपकी मांग पूरी करते थे। वे झल्लाते नहीं थे। अब तुम्हारा समय है, अपने पिता का ध्यान रखने का यदि बेटा ही सम्मान नहीं करेगा तो बहू व रिश्तेदारों से क्या अपेक्षा की जाएगी। इसलिए दिल से पूरा रेस्पेक्ट करें।

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