साइबर अपराध के बढ़ते मामले चिंताजनक: जांच में ढिलाई से धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ रही हैं, पुलिस संसाधनों की कमी

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साइबर अपराध के बढ़ते मामले

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तकनीक के आने से जीवन आसान हो गया है, लेकिन खतरे भी बढ़ गए हैं। ऑनलाइन फ्रॉड के रूप में थोड़ी सी लापरवाही से भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। ठगी के नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। पढ़े-लिखे लोग भी साइबर अपराधियों के चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं। ताजा मामला बालाघाट जिले से सामने आया है। साइबर ठगों ने चुनाव अधिकारी बनकर तीन बीएलओ को ऑनलाइन ठगा है। एक ही दिन में बैंक खातों से 75 हजार रुपये निकाले गए। सवाल यह उठ रहा है कि बीएलओ की निजी जानकारी ठगों तक कैसे पहुंची? कहीं न कहीं चोरी हो रही है। क्या साइबर ठगों को बैंक विवरण के साथ विभागीय जानकारी दी जा रही है? या हमारी सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है? सुरक्षा घेरा आसानी से टूट जाता है। साइबर क्राइम के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं, क्योंकि फ्रॉड का शिकार होकर पैसे वापस पाना आसान नहीं है। पुलिस में। मामला दर्ज होने के बावजूद जांच की गति बेहद धीमी है। ऐसे मामलों की जांच में ढिलाई के कारण धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ रही हैं। साइबर क्रिमिनल बढ़ रहे हैं। संसाधनों की कमी को लेकर पुलिस महकमे में रोष है।

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ऐसा लग रहा है। तकनीक के मामले में साइबर अपराधी पुलिस से आगे हैं। कुछ लिंक निश्चित रूप से कमजोर है। किसी भी प्रकार के अपराध से सुरक्षा प्रदान करना पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है। धीमी गति से घटनाओं को रोकना संभव नहीं है। साइबर क्राइम के मामलों में पुलिस को सख्ती बरतनी चाहिए। ऐसा सुरक्षा चक्रव्यूह बनाया जाए, जिसे तोड़ना नामुमकिन हो। अपराध के बाद जांच और सजा की गति ऐसी होनी चाहिए कि अपराधी कांप जाएं। साइबर अपराध को रोकने के लिए मौजूदा कानून की समीक्षा करने की भी जरूरत है। कानून में और कड़े प्रावधान करने की जरूरत है। ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए गृह मंत्रालय ने साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल बनाया है। केंद्र सरकार ने पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन शुरू की है। पुलिस टीमों का गठन किया गया है। लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। जागरूकता लाकर ऐसे अपराधों से बचा जा सकता है। बैंक खाता संख्या, पासवर्ड, ओटीपी, आधार संख्या किसी के साथ साझा न करें। फेक कॉल्स से सावधान रहें। धोखाधड़ी के मामले में तुरंत पुलिस को सूचित करें। (एम.सी.)

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