अमरनाथ यात्रा आज से शुरू: अमरनाथ यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जाने, यात्रा करने से पहले जाने पूरी गाइडलाइंस
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श्री अमरनाथ धाम की वार्षिक तीर्थयात्री घाटी पहुंच गया। 6:2 के लिए श्रद्धालुओं दिवसीय यात्रा 1 जुलाई शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगी। जत्था दक्षिण कश्मीर हिमालय में भगवान शिव के 3,880 मीटर ऊंचे गुफा मंदिर में दर्शन करेगा। यात्रा कश्मीर से दो मार्गों से शुरू होगी।
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रजिस्ट्रेशन
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इस साल अब तक तीन लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फीस 220 रुपए प्रति व्यक्ति है। एनआरआई तीर्थयात्री पीएनबी से पर्सनल 1520 रुपए में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड की वेबसाइट पर भी अप्लाई किया जा सकता है।
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गाइडलाइंस
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13 से 70 साल के लोग रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। यात्रा के लिए हेल्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य है। 6 हफ्ते या उससे ज्यादा की प्रेग्नेंट महिलाओं को यात्रा करने की अनुमति नहीं। गुफा के पास रात को नहीं ठहर सकेंगे
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क्या ध्यान रखें
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- जम्मू-कश्मीर में निर्धारित स्थानों से आरएफआइडी कार्ड प्राप्त करना होगा। यात्रा में इसे पहनना अनिवार्य है। आरएफआइडी (रेडिया फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफकिशन) एक अहम कम्पोनेंट है, इसका इस्तेमाल वस्तु या इंसान को खोजने में किया जाता है।
- आरामदायक कपड़े व ट्रैकिंग जूते पहने, बॉडी हाइड्रेट के लिए बीच-बीच में पानी पीते रहें।.
- निर्धारित ट्रैक पर यात्रा करे छोटा रास्ता चुनने का प्रयास न करें। मुश्किल हो सकती है।
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यात्रा से जुड़े तथ्य
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- गुफा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले की लिद्दर वैली में अमरनाथ पर्वत पर है।
- 141 किलोमीटर श्रीनगर से दूर दक्षिण कश्मीर में है अमरनाथ गुफा।
- अमरनाथ गुफा की 17 हजार फीट से ज्यादा है ऊंचाई ।
- गुफा के 2 रास्ते, पहलगाम से 48 व बालटाल से 16 किमी दूर, समय के साथ मार्ग में बदलाव ।
- चूने पत्थर और जि प्सान से बनी गुफा की लंबाई 19. चौड़ाई 16 और ऊंचाई 11 मेंटर है।
- 2011 में 6.34 लाख श्रद्धालुओं का दर्शन रिकॉर्ड है।
- साल 2000 में जम्मू कश्मीर की फारूक अब्दुल् ला सरकार ने यात्रा की सुविधा को बढ़ाने के लिए श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड का गठन किया,इसके मुखिया राज्यपाल हैं।
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पौराणिक महत्व
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बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 1850 में मलिक नाम के मुस्लिम गडरिए ने गुफा खोजी थी। वेबसाइट पर एक कहानी के अनुसार कश्मीर घाटी पानी में डूबी हुई थी और कश्यप मुनि ने वहां नदियों का निर्माण किया और पानी कम होने के बाद घाटी बनी। प्रवास के समय भृगु मुनि ने गुफा की खोज की। बर्फ के शिवलिंग के बाई और दो छोटी बर्फ की संरचनाएं भी बनती है, इन्हें मां पार्वती और गणेशजी का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग एक स्टैलेमाइट संरचना के रूप में है। स्टैले रमाइट गुफा की छत से फर्श पर गिरने वाली पानी की बूंदों के जामने से शिवलिंग मई- जून में निर्मित होता है।