रीवा. लक्ष्मणबाग संस्थान के नए महंत को लेकर विवाद हर दिन बढ़ता जा रहा है। कलेक्टर के पास कई संगठनों के लोग पहुंचे और संस्थान से जुड़े नियमों का हवाला देते हुए कहा कि यह नियम विरुद्ध नियुक्ति है। इसे तत्काल निरस्त करते हुए नए सिरे से प्रशासन की निगरानी में प्रक्रिया अपनाई जाए। लगातार विभिन्न संगठनों एवं साधु-संतों की ओर से दिए जा रहे ज्ञापन और विरोध की वजह से चार और पांच जुलाई को आयोजित बैकुंठोत्सव और नए महंत के पट्टाभिषेक का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
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कलेक्ट्रेट पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। उसमें उल्लेख किया गया है कि कुछ लोगों द्वारा अनाधिकृत रूप से रूप से लक्ष्मणबाग का संचालन किया जा रहा है। शासन के नियंत्रण में यह स्वायत्त संस्थान है। महंत की अध्यक्षता में समिति का गठन प्रशासन द्वारा किया जाता है। संस्थान और राज्य सरकार के बीच हुए अनुबंध में पूरी प्रक्रिया का उल्लेख है। वर्ष 2005 में भ्रष्टाचार एवं अन्य कारणों से तत्कालीन महंत हरिवंशाचार्य को निष्कासित कर सरकार ने कलेक्टर को प्रशासक नियुक्त किया था। कई वर्ष बीतने के बाद भी महंत की नियुक्ति नहीं हुई है। यह प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल है। अब हरिवंशाचार्य के निधन के बाद कुछ लोगों ने राघवाचार्य को महंत घोषित कर पट्टाभिषेक करने की तैयारी की है। राघवाचार्य का अयोध्या में अपना आश्रम है। वह रीवा में नहीं रहेंगे, वहीं से व्यवस्था संचालित करेंगे। जबकि लक्ष्मणबाग को पूर्णकालिक महंत चाहिए जो यहां समय दे। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से पूर्व संयुक्त कलेक्टर रमेश मिश्रा, पूर्व डिप्टी कलेक्टर रामानुज द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला, श्यामसुंदर शर्मा, महावीर चतुर्वेदी, अवनीश शुक्ला, प्राणनाथ पांडेय, रामनरेश सहित अन्य मौजूद रहे। विधायक ने पहले की थी अनुशंसाः रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला का संभागायुक्त को प्रेषित एक पत्र कलेक्टर को सौंपा गया है। उसमें उन्होंने वर्ष 2007 में त्रिदंडीमठ के महंत शेषमणिदासाचार्य को लक्ष्मणबाग का महंत नियुक्त करने की अनुशंसा की थी। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
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त्रिदंडी मठ की ओर से भी दिया गया ज्ञापन
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त्रिदंडी मठ गोविंदगढ़ की ओर से भी एक ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा गया। है। उसमें प्रक्रिया नियमों के अनुसार संचालित किए जाने की मांग की गई है। कहा गया है कि इसके पहले कई महंत जो लक्ष्मणबाग में नियुक्त हुए हैं वह त्रिदंडी मठ से आए थे। यह परंपरा वर्षों से चल आ रही है। त्रिदंडी मठ के महंत शेषमणिदासाचार्य को वर्ष 2013 में प्रयागराज के संत सम्मेलन में जगद्गुरु रामानुजाचार्य की उपाधि भी प्रदान की गई थी। इसलिए वह भी – नए महंत के लिए प्रमुख दावेदार हैं। – कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि नियमों और व्यवस्थाओं का अध्ययन करने के बाद ही कोई निर्णय होगा।