मधुमक्खियों का शहद मीठा, लेकिन मधुमक्खियों के डंक से दर्द क्यों होता है?

शहद मीठा और गाढ़ा होता है। खाने में भी स्वादिष्ट लगता है। कई दवाओं में इसका प्रयोग किया जाता है। वहीं, जब मुधमक्खी डंक मारती है तो बहुत तेज दर्द होता. सूजन हो जाती है। कई बार तो डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। ऐसा कैसे होता है? एक तरफ मीठा शहद और दूसरी तरफ डंक से दर्द! शहद में जितनी मिठास होती है। उतना ही यह हमारे स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है। मधुमक्खियां इसे फूलों के मकरन्द से बनाती हैं। मकरन्द में उपस्थित तत्त्वों के कारण शहद के प्रत्येक छत्ते का रंग एवं स्वाद अलग तरह का होता है। मधुमक्खियों के छत्ते में एक रानी होती है। और शेष श्रमिक। शहद बनाना श्रमिक मधुमक्खियों की जिम्मेदारी होती है।
यह मधुमक्खियां फूलों से इकझ किए गए मकरन्द को अपने छत्ते में एकत्र करती हैं। मधुमक्खियों के लार में मौजूद एक खास एन्जाइम ग्लूकोज को सुक्रोज फ्रक्टोज में और ग्लूकोज के एक भाग को ग्लूकोनिक • एसिड व हाइड्रोजन परऑक्साइड में बदल देता है। ग्लूकोनिक एसिड शहद के पीएच मान को कम कर देता है। इसके कारण जीवाणुओं के पनपने की आशंका कम हो जाती हैं। हाइड्रोजन परऑक्साइड भी जीवाणुओं के लिए अनुकूल वातावरण को पनपने नहीं देता है। मकरन्द में 30 से 90 प्रतिशत द्रव पदार्थ होता है, जो शहद निर्माण की प्रक्रिया में वाष्पीकरण के फलस्वरूप मात्र 18 प्रतिशत रह जाता है। इसके कारण शहद में गाढ़ापन बढ़ जाता है। शहद बनाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए मधुमक्खियां मकरन्द की छोटी-छोटी बूंदों को छत्तों में उपस्थित छोटे-छोटे भागों में इकट्ठा करके रखती हैं और अपने पंखों से वाष्पीकरण की गति को बढ़ाती हैं। इस प्रकार शहद का निर्माण होता है।
विशेष प्रकार का रसायन छोड़ती हैं मधुमक्खियों
मधुमक्खी जब डंक मारती हैं, तो एपिटॉक्सिन और फेरोमोंस दो रसायन छोड़ती है। इन रसायनों के कारण ही दर्द और सूजन होती है। एपिटॉक्सिन इसमें प्रमुख हैं। जबकि फेरोमोंस से दूसरी मक्खियों को सावधान किया जाता है ताकि हमला होने पर उसकी रक्षा के लिए दूसरी मक्खियां आ जाएं। सामान्यतः मधुमक्खी तभी हमला करती हैं जब उन्हें कोई नुकसान पहुंता है।