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APSU सहित प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों एक साथ कर्मचारियों ने हड़ताल से पहले सरकार सतर्क, शासन के स्तर पर मांगें लंबित नहीं होने का दिया हवाला
 

APSU सहित प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों एक साथ कर्मचारियों ने हड़ताल से पहले सरकार सतर्क, शासन के स्तर पर मांगें लंबित नहीं होने का दिया हवाला
 
 
apsu rewa

रीवा. अवधेश प्रताप सिंह विधि सहित प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों में एक साथ अधिकारी-कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। इसके चलते उच्च शिक्षा विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया है। कर्मचारी संगठनों की ओर से दिए गए ज्ञापन की मांगों पर चर्चा करने के बाद विभाग ने रीवा सहित सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर जवाब तलब किया है। कहा कि विश्वविद्यालय के स्तर पर लंबित सभी मांगों का ब्यौरा तीन दिन के भीतर उपलब्ध कराएं।

पत्र में कहा गया है कि संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा अपनी मांगों को लेकर 15 मई से हड़ताल पर जाने की सूचना दी गई है। उनकी प्रमुख मांगों में पेंशनर्स को सातवें वेतनमान का लाभ दिए जाने की मांग भी शामिल की गई है। इसमें विभाग ने स्पष्ट किया कि कारपस फंड में सभी विविद्या को तीन करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसलिए विवि यह अपने स्तर पर जांच किड जमा किया गया है अथवा नहीं। यदि फंड जमा नहीं हुआ है तो तीन दिन के भीतर जमा कराएं। विश्वविद्यालय के पेंशनर्स के हिसाब से गणना करें कि सातवें वेतनमान का लाभ देने के लिए कितनी राशि की जरूरत होगी। 2007 के बाद नियुक्त दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को स्थाईकर्मी घोषित किया गया है लेकिन 18 महीने से वेतन नहीं मिल रही है। स्पष्ट किया कि शासन स्तर प्रक्रिया विचाराधीन नहीं है। विवि अपने स्तर पर भुगतान की प्रक्रिया अपनाए। 

पुरानी पेंशन योजनाओं पर कोई स्पष्ट बात नहीं

विश्वविद्यालय कुलसचिव के पास आए पत्र में शासन की ओर से कहा गया कि पुरानी पेंशन लागू करने और ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट में पेंशन योजना लागू करने की मांग की गई है। वर्ष • 2005 के बाद अधिकारी, कर्मचारियों के अंशदायी पेंशन योजना लागू की गई है। चित्रकूट विश्वविद्यालय में भी अंशदायी पेंशन योजना लागू करने के निर्देश जारी हुए हैं। यहां पर यह भी कहा गया है कि शासन के स्तर पर लंबित नहीं है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पुरानी पेंशन लागू करने की मांग पर क्या होगा।

नियमितीकरण पर सफाई

स्थाईकर्मियों के नियमितीकरण पर कहा गया कि शासनस्तर पर यह भी लंबित नहीं है, संभागीय समिति के स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। विश्वविद्यालयीन सेवा के अधिकारियों को कुलसचिव बनाने की मांग पर कहा गया है कि दो विश्वविद्यालय छोड़कर शेष सभी जगह अधिकारियों को प्रभारी बनाया गया है। मेडीक्लेम की मांग पर कहा है कि शासन स्तर से अनुमति दी जा चुकी है अब विश्वविद्यालय से कार्य आगे होगा। अन्य मांगों को लेकर भी कहा गया है कि शासन के स्तर पर प्रक्रिया लंबित नहीं है। सभी मांगें विश्वविद्यालय स्तर पर ही निराकृत होंगी। अब शासन ने अपनी बातें स्पष्ट कर दी हैं, जिसके कर्मचारियों का पूरा जोर विश्वविद्यालयों के प्रबंधन के सामने होगा।

रीचा विवि में 84 कर्मचारियों की नियुक्ति औचित्यहीन

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के 84 कर्मचारियों की नियुक्ति को शासन के स्तर पर स्वीकार नहीं किया गया है। इसके चलते विश्वविद्यालय खुद की राशि से वेतन दे रहा है। प्रदेश स्तरीय आंदोलन में इस मांग को भी शामिल किया गया है, जिसमें विभाग ने स्पष्ट किया है कि डाइंग कैडर में पद कार्योत्तर स्वीकृत करने की मांग औचित्यहीन और नियम विरुद्ध है। इस कारण 11 अक्टूबर 2021 को इस प्रकरण को नस्तीबद्ध • किया जा चुका है। शासन के स्तर पर यह विचाराधीन नहीं है। इस मांग को लेकर रीवा में कर्मचारियों द्वारा लगातार आंदोलन किया जाता रहा है। जिसके चलते शासन ने पूर्व में ही स्पष्टीकरण किया था। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने शासन से पद स्वीकृत कराए बिना ही 84 कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी थी। जब पद ही स्वीकृत नहीं है तो शासन द्वारा कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध बताया गया है।