दूसरी तिमाही में तेल कंपनियों को हो सकता है 21000 करोड़ का घाटा, ये है बड़ी वजह..

दूसरी तिमाही में तेल कंपनियों को हो सकता है 21000 करोड़ का घाटा, ये है बड़ी वजह..n

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ICICI Securities के मुताबिक, दूसरी तिमाही में कंपनियों के ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) में कमी से खुदरा बिक्री घाटा 9.8 रुपये प्रति बैरल पर रह सकता है। हालांकि, पहली तिमाही में यह 14.4 रुपये प्रति बैरल था। यह संभवत: पहली बार है जब कंपनियों को लगातार दो तिमाहियों में घाटा होगा।

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सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को जुलाई-सितंबर तिमाही में एक बार फिर भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। यह अनुमान एक रिपोर्ट में व्यक्त किया गया है। इसमें कहा गया है कि आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को कुल 21,270 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

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लगातार दूसरी तिमाही में घाटा

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पीटीआई के मुताबिक, यह संभवत: पहली बार होगा जब तेल विपणन कंपनियों को लगातार दो तिमाहियों में घाटा होगा। गौरतलब है कि इससे पहले पिछली तिमाही यानी अप्रैल-जून तिमाही में भी तेल कंपनियों को 18,480 करोड़ रुपये का संयुक्त घाटा झेलना पड़ा था. रिपोर्ट में लगातार हो रहे नुकसान की सबसे बड़ी वजह देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी नहीं होना बताया जा रहा है.

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उत्पादन लागत बढ़ी, फिर भी कीमत स्थिर रही

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ICICI Securities के मुताबिक, इन तीनों तेल विपणन कंपनियों को भी ईंधन की कीमतों में स्थिरता के कारण लगातार दूसरी तिमाही में नुकसान हुआ है। कंपनियों के रिफाइनिंग मार्जिन में भी कोई सुधार नहीं हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन लागत के अनुरूप देश में पेट्रोल-डीजल के दाम न बढ़ने से तेल कंपनियों को भारी नुकसान होने की आशंका है, जो 21,270 करोड़ रुपये हो सकता है.

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पिछली तिमाही की तुलना में बहुत अधिक नुकसान

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अनुमानित आंकड़ों को देखें तो इस तिमाही में पिछली अप्रैल-जून तिमाही के मुकाबले 2,790 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महीने के अंत तक तेल कंपनियां जुलाई-सितंबर तिमाही के वित्तीय आंकड़े जारी कर सकती हैं। तीनों कंपनियों के नवंबर की शुरुआत में अपने नतीजे जारी करने की उम्मीद है। आपको बता दें कि पहली तिमाही में भी पेट्रोल-डीजल की स्थिर कीमतों और घटते रिफाइनिंग मार्जिन से कंपनियों को भारी नुकसान हुआ था।

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Refining Margin में कमी का प्रभाव

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ICICI Securities के मुताबिक दूसरी तिमाही में ओवरऑल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) कम होने से कंपनियों का खुदरा बिक्री घाटा 9.8 रुपये प्रति बैरल पर रह सकता है। हालांकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 14.4 रुपये प्रति बैरल था। इसके साथ ही ब्रोकरेज ने कहा कि तीनों तेल कंपनियों को EBITDA में 14,700 करोड़ रुपये की कमी और 21,270 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हो सकता है।

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